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सूना आंगन, दैनिक लेखनी कहानी -01-Aug-2024

सूना आंगन (धनुषाकार वर्ण पिरामिड)


है 

सूना

आंगन 

तेरे बिन

मेरे सजन

व्याकुल है मन

तरसते नयन

ये आंगन हमारा

लगता उदास 

सिर्फ तन्हाई 

रह गई 

हमारे

संग

में


जो

तुम 

वापस 

लौटकर 

हमारे लिए 

सबकुछ भूल 

आ पाते जीवन में

जगमग हो जाता

खुशियाँ पाकर

सूना आंगन 

हरक्षण 

तुम्हारे 

प्यार 

से


~~~~राजीव भारती

पटना-बिहार (गृह नगर)

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